हिंदी कहानियां - भाग 162
बुरे काम को ‘ना’ कहो
बुरे काम को ‘ना’ कहो मीना तारा के साथ स्कूल से लौट रही है। अगले हफ्ते होने वाले संगीत के मुकाबले में तारा और बेला साथ में भाग लेंगी। लेकिन बेला तो स्कूल ही नहीं आ रही है...तारा अभ्यास किसके साथ करे।.....कारण पता लगाने मीना और तारा,बेला के घर पहुँचाने ही वाले थे की रास्ते में पोंगाराम चाचा मिल जाते हैं। पोंगा चाचा- अरे! मीना...तारा..,बेला तुम्हारे साथ नहीं आई? मीना- पोंगा चाचा.....बेला तो... पोंगा चाचा- अच्छा-अच्छा, स्कूल में गाने का अभ्यास कर रही होगी। बेला आज स्कूल जाते समय मुझसे कह ही रही थी कि कल की तरह आज भी आने में देरी हो जाएगी। पोंगा चाचा बताते हैं कि बेला की माँ अपने भाई के यहाँ रहने गयी हुई है,मैं उसे लेने जा रहा हूँ...शाम तक वापस लौटूंगा तुम बेला को बता देना। तारा- आखिर बात क्या है? मीना- फिर बेला गई कहाँ? मीना सोचती है शायद मीता को पता हो क्योंकि कल उसने बेला को उससे हँस-हँस के बात करते देखा था....पर मीता तो शहर गयी हुई थी अपनी मौसी के घर। मीना और तारा पहुंची मीता के घर...... बेला मिलती है.....वह मीना और तारा को मीता की शहर से लायी फिल्मी पत्रिका दिखाती है और मीना,तारा को भी रुकने को कहती है। लेकिन मीना पोंगा चाचा का सन्देश बेला को देकर वहां से निकल जाती है। मीता-(तारा को लिपिस्टिक दिखाते हुए) ये देखो! ....तारा को भी लिपस्टिक लगाने को कहती है। और फिर अगले दिन स्कूल के खेल के मैदान में.... मीना- (तारा पेड़ के पीछे है) तारा दीदी आज फिर से स्कूल क्यों नहीं आयी? तारा- मीता और बेला ने मुझे जबरदस्ती रोक लिया। (तभी बहिन जी वहां आ जाती हैं) बहिन जी- (तारा से) तुम्हारे होंठों पे ये.......तुमने लिपिस्टिक कहाँ से लगाईं? तारा बहिन जी को सारी बात बताती है कि वो वहा रुकना नहीं चाहती थी लेकिन उनकी बात न मानती तो उन्हें बुरा लगता और वो मुझे डरपोंक कहती। बहिन जी समझाती हैं कि सच्चे दोस्त एक दूसरे का भला चाहते हैं उनपर दवाब नहीं बनाते। अगर हम सच्चे दोस्तों को अच्छे काम के लिए हाँ बोल सकते हैं तो बुरे काम के लिए न भी तो कह सकते हैं। और अगली सुबह जब तारा स्कूल जा रही थी..... मीता- (तारा से) बेला और में साथ वाले गाँव जा रहे हैं नाटक देखने,तुम भी मेरे साथ चलो? तारा मना कर देती है और समझाती है कि मैं अपनी सहेलियों को न नहीं बोल रही हूँ,गलत काम को मना कर रही हूँ। तुम्हे जाना है तो जाओ मैं गीत का अभ्यास किसी और के साथ कर लूँगी। दोनों को अपनी गलती का अहसास होता है..और वह इसके लिए क्षमा मांगती हैं। मुकाबले के दिन ......; पहला इनाम जीता तारा और बेला की जोड़ी ने। मीना,मिठ्ठू की कविता- “गलत राह जब दोस्त दिखाए याद ये रखना बात। प्यार से उनको मना करो तुम डरने की क्या बात।”